हाल ही में जारी स्विस संगठन आइक्यू एयर रिपोर्ट के अनुसार भारत पूरे विश्व का तीसरा सबसे प्रदूषित देश है । भारत में 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता दर्ज की गयी है जो कि चिंताजनक है । भारत से पहले दो देश बांग्लादेश और पाकिस्तान में सबसे ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया है। बांग्लादेश प्रथम स्थाना पर है दूसरे स्थान पर पाकिस्तान है । विश्व के शीर्ष 10 में से 9 सबसे प्रदूषित शहर भारत के है।
पिछले वर्ष की तुलना में देखे तो भारत में स्थिति और खराब हुई है। भारत की राजधानी लगातार चौथी बार सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में नामित हुई है । भारत के अन्य शहरों और क्षेत्रों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। बिहार का बेगुसराय विश्व का सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र के रूप नामित हुआ है। बेगुसराय में 118.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में औसत पीएम 2.5 दर्ज किया गया है । डब्ल्यूएचओ के मानकों के मुताबिक पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए ।
दिल्ली के साथ एनसीआर वायू प्रदूषण की गिरफ्त में है। आलम यह है कि एनसीआर के कई शहरों की हवा भी जहरीली हो चुकी है। लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है।
मुखर्जी नगर में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे नयन कहते है कि प्रदूषण से दिल्ली की स्थिति बदतर हो गयी है । पहले तो महसूस होता था लेकिन अब वायु गुला जहर महसूस ही नहीं होता है।
वहीं रोहन कहते है कि दिल्ली की वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है । जब बाहर निकलते है ऐसा लगता है कि आक्सीजन को छोड़कर सबी जहरीली गैसों को ले रहे है । हवा में भारीपन महसूस होता है जो कि तब पता चलता है जब वे लोग अपने घर जाते है ।
स्विस एजेंसी आईक्यूएयर की विश्व एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 रीजन एंड सिटी पीएम 2.5 के अनुसार ग्रेटर नोएडा विश्व का 11वां सबसे प्रदूषित शहर है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की 99 प्रतिशत आबादी दिशानिर्देश सीमा से अधिक हवा में सांस लेने को मजबूर है । जिसमें आमतौर पर मध्यम और निम्न आय वाले देश की शामिल है।
वायु प्रदूषण बुरी तरह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है । अस्थमा , समय से पहले होने वाली मौत जैसी गंभीर समस्याओं धीरे -धीरे बढ़ोतरी हो रही है। प्रदूषण का सीधा स्वास्थ्य पर पड़ता है। खराब स्वास्थ्य का सीधा असर देशों की आर्थिकी पर पड़ता है। वायू $ 36.8 बिलियन की आर्थिक हानि हुई जो कि भारत की जीडीपी का 1.36 प्रतिशत था । इससे होने वाले नुकसान की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। साल 2019 में लैंसेट कमीशन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के कारण विश्व में करीब 90 लाख लोगे की मौत हुई । इसमें से भारत में एक साल में 24 लाख लोगों के प्रदूषण के कारण जान से हाथ धोना पड़ा। इसमें ज्यादातर मौतों के लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेदार है। 90 लाख में से 66.7 लाख मौतें के लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेदार है। सर्दियों में दिल्ली में वायू प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पँहुच जाता है। 2019 की रिपेर्ट के मुताबिक भारत में 6,500 मौतें प्रदूषण के कारण होने वाली बिमारियों से होती है ।दिल्ली में वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलाए जाने वाले पराली के कारण होता है ।हालांकि सरकार इसके निवारण के लिए ठोस कदम उठाने का दावा करती है लेकिन वह नाकाफी ही साबित होते है ।
सर्दियों के समय वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है । दिल्ली स्थित सेंटर फॉर सांइस एंड एनवायरमेंट संस्थान के अनुसार सर्दियों में दिल्ली और चंडीगढ देश के सबसे प्रदूषित शहर है। दिल्ली का पीएम 2.5 का स्तर 88 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और चंडीगढ का 100.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था।
इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत की 130 करोड़ से ज्यादा लोग लगभग 96 प्रतिशत आबादी वायु प्रदषित शहर में रह रही है। दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर है । इसके कई मुख्य कारण है । दिल्ली के प्रदूषण में 30 % योगदान धूल , निर्माण कार्य आदि का है। वही 22 % उद्दयोग का 17 % ,यातायात 10 % घरों से 11 न अन्य कारणों से होता है ,जिसमें कचरा आदि जलाना शामिल है।
नई दिल्ली स्थित आईसीएमआर (भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण देश में फेफड़ों के कैंसर के मामले और उन से जुड़ी मृत्यु दर में इजाफा हुआ है।
यही नहीं , हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 के अलावा कई जहरीली गैस नाइट्रोजन डाइऑक्साइड , नाइट्रोजना ऑक्साइड और ओजन गैस मौजूद है। इन जहीरीली कणों और गैस के कारण स्तन फेफड़ों का कैंसर में इजाफा हुआ है। इसके अलावा महिलाओं में बढ़ रहे स्तन कैंसर की पीछे भी यही गैसें जिम्मेदार है।
हाल ये है कि अब दिल्ली- मुबंई जैसे बड़े शहरों के साथ ही छोटे शहरो की स्थिति चिंताजनक हो गयी है । दो शहरों को पीछे छोड़ आठ शहरों अंगुल , बारबिल , बर्नीहाट , नंदेसरी ,नयागढ़ ,रूपनगर ,सुआकाती और सूरत की हालात दमघोंटू हो गये हैं।
उत्तराखंड के गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के एटमॉस्फेरिक लैबोरेट्री डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स के कोर्डिनेटर डॉ आलोक सागर गौतम के अनुसार उत्तराखंड के हल्द्वानी, हरिद्वार, देहरादून जैसे शहरों में प्रदूषण का तेजी से बढ़ा है ।वजह यह है कि वहां कई कारखाने और फैक्ट्रियां संचालित होती हैं।उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों को वातावरण के मामले में काफी साफ माना जाता था, लेकिन अब तेजी से यहां भी वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में अब उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित एटमॉस्फेरिक लैब रियल टाइम एयर क्वालिटी को मॉनिटर करेगा।
हाल ही एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि सीपीसीबी में दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण को कम करने के लिए एनवायरमेंट प्रोटेक्शन चार्ज (ईपीसी ) और एनवायरमेंटल कंपनसेशन (ईसी ) का 20 % की खर्च किया है। सीपीसीबी ने ही यह रिपोर्ट तैयारी की है जिससे एनजीटी को सौंपी है। इसके अनुसार सीपीसीबी को इसी और ईपीसी से 777.69 करोड़ प्राप्त हुए। इसमें से केवल 156.33 करोड़ रूपये ही प्रदूषण कम करने के प्रयोग किए गए।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए गए है जैसे राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम , राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम आदि है। वही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 , भारत स्टेट उत्सर्जन मानक आदि भी बनाए गए है।वही वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग बनाए है । साथ ही टर्बी हैप्पी सीटर मशी भा लगायी गयी है।सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रिक करने के लिए बीएस VI वाहनों के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रही है । साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद पर सब्सिडी दे रही है । साथ ही भारत ने आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थनों के साथ मिलकर इसका अनुसंधान के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम कर रही है ।सीपीसीबी लगातार वायु प्रदूषण की निगरानी कर रहा है । इसके अलावा सरकार सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश भी कर रही है।
मुखर्जी नगर में ही बिहार पीसीएस की तैयारी कर रहे है कहते है कि दिल्ली ही नहीं अब भारत के अन्य जगहों में यह वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गयी है । जिसको लेकर वो चिंतित है । यह पूछने पर क्या सरकार वायु प्रदूषण के लिए पर्याप्त प्रयास कर रही है । कहते है कि कोशिश तो कर रहे है लेकिन और तेजी से प्रयास करने की जरूरत है । नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ाने की जरूरत है । साथ ही ऑड ईवन के नियम को सख्ती से लागू करना चाहिए । पूरी सड़क गाड़ियों से भरी है एक व्यक्ति केवल एक कार का प्रयोग कर रहा है जिससे वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। साथ ही जाम की समस्या बढ़ रही है । सरकार को इल्केट्रानिक गाड़ियों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।
रिया जो कि एक डीयू की छात्रा है कहती है कि दिल्ली आने के बाद उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा। सांस लेने में दिक्कत , आंखों में जलन अब आम तकलीफ हो गयी है । साथ ही कहती है कि सरकार वायु प्रदूषण को लेकर लापरावाही वाला रूख अपनाये हुए है । जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।
फिर भी वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने में सरकार असफल साबित हो रही है। कई जगह पराली जलाई जाती है जिससे राजधानी पर प्रदूषण पर इजाफा होता है । उसको कम करने की बातों तो होती है धरातल पर कोई उपाय नहीं किये जाते है। सरकार को कुछ अन्य कदम उठाने चाहिए जैसे नियमों के पालन का करने पर भारी
जुर्माने का प्रवाधान करना । साथ ही वायु गुणवत्ता मानकों और उत्सर्जन सीमाओं का सख्ती से लागू करें।
स्वच्छ उर्जा के प्रयोगों में तेजी लाना , नवीकरीणीय ऊर्जा के स्त्रोतो को अपनाने के लिए लोगों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना । जीवश्म ईधनों के चरण बध तरीके से प्रयोग से बाहर करना जैसे उपाय शामिल है ।
भारत ने धीरे – धीरे सूर्य एनर्जी के प्रयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया है जिसके तहत योजना भी शुरू की है।
सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रिक करने के लिए बीएस VI वाहनों के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रही है । साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद पर सब्सिडी दे रही है । साथ ही भारत ने आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थनों के साथ मिलकर इसका अनुसंधान के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम कर रही है ।
Write a comment ...