एमएसपी को कानून बनाने की मांग करते किसान

एक बार फिर किसानों ने एमएसपी की लीगल गांरटी की मांग करते हुए दिल्ली चलो का नारा दिया है।ऐसे में यह जानना बहुत जरुरी हो जाता है कि एमएसपी है क्या ? क्या सरकार इसकी कानूनी गांरटी किसानों को दे सकती है ?

एमएसपी क्या है ?

यह किसानों को फसलों में दी जाने वाली एक गांरटी है जिसमें सरकार फसलों की कीमत तय कर देती है। किसान अपनी फसलों को एमएसपी पर बेचते है लेकिन बाजार में मूल्य कम होने से किसानों को  घाटा ना हो सरकार फसल को एमएसपी में खरीद लेती है।

एमएसपी भारत में कब आया ?

1960 के दशक में भारत अकाल का सामना कर रहा था । जनसंख्या वृद्धि भी तेजी से हो रही थी। भारत के कृषि क्षेत्र की स्थिति भी अच्छी  नहीं थी। साथ ही बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थी का पेट भरने की चुनौती भी भारत के सामने थी । उस समय अमेरिका द्वारा  पीएल – 480 योजना के तहत अनाज का आयात किया जाता था लेकिन वर्ष 1966-67  में अमेरिका ने शीप टू माउथ की पॉलिसी लागू कर दी । इसके तहत अमेरीका उतना अनाज ही भारत को निर्यात करेगा जितना की भारत अपनी  जनसंख्या का पेट भर सकें। इस के बाद भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का फैसला लिया। तब कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति की शुरूआत हुई जिसका नेतृत्व एम एस स्वामीनाथन ने किया । एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के जनक के रुप में जाना जाता है । उनके कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें मरणोंपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की है। उन्होंने ही भारत में एचवाईवी बीज को लेकर आए जिसके प्रयोग को बढ़ाने उन्होंने प्रयास किया । उन्होंने ही भारत सरकार को किसानों को एमएसपी देने का प्रस्ताव रखा था जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत बीजों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करना था। हरित क्रांति के बदौलत ही भारत कृषि क्षेत्र में ना सिर्फ आत्मनिर्भर बना बल्कि बढ़ी मात्रा में अनाज का निर्य़ात भी करने लगा। यहीं कारण है कि आज भी किसान एमएसपी की कानूनी  गांरटी देने  की मांग कर रहे हैं।

एमएसपी कौन तय करता है?

एमएसपी कृषि लागत और मूल्य आयोग ( सीएसीपी ) द्वारा तय किया जाता है। इस आयोग का गठन वर्ष 1965 में हुआ था। यह आयोग कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। सीएसीपी 23 फसलों के लिए एमएसपी की निर्धारण करता है। जिसमें 7 आनाज , 5 दालें , 7 तिलहन और 4 कामर्शियल क्रॉप आते है। सीएसीपी किसानों ,राष्ट्रीय संस्थानों आदि के साथ मीटिंग कर सर्वसम्मति से मूल्य निर्धारण करती है। एमएसपी का आकलन कर अपना प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजती है जो कि सरकार पर बाध्यकारी नहीं है। केंद्र सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑफ इकोनॉमी अफेयर्स इसमें अंतिम फैसला लेकर एमएसपी की घोषणा करती है। जिस एफसीआई जैसी संस्थान लागू करती है।

एमएसपी का फॉर्मूला ?

ए2 – इसके तहत किसानों द्वारा बीज ,उर्वरक और सिंचाई आदि में किए जाने वाले खर्च को शामिल करके एमएसपी तय किया जाता है।

ए2+ FL – इसके तहत ए2 के साथ – साथ किसान के परिवार द्वारा किया जाने वाला परिश्रम को भी शामिल किया जाता है।

सी2 – इसमें ए2+ FL के साथ किसान को जमीन में मिलने वाला किराया और फिक्सड ऐस्ट में मिलने वाला ब्याज भी जोड़ा जाता है।

18 नवंबर 2004 में एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में  राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था । उन्होंने 2004-2006 तक अपनी 5 रिपोर्टें पेश की जिसमें उन्होंने किसानो को एमएमपी सी2 के साथ 50 प्रतिशत आधिक भुगतान करने की बात कही। अब किसान  इसी सी2 + 50%  के तहत एमएसपी के निर्धारण की मांग कर रहे हैं।

क्या एमएसपी की लीगल गांरटी दी जा सकती है?

वर्ष 2014 में बनी शांता कुमार कमेटी के अनुसार  केवल 6 %  किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। 2019 -20 केंद्र सरकार ने 85% गेहूं तीन राज्यों पंजाब , हरियाणा और मध्य प्रदेश से खरीदा था । वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार ने 2.75 लाख करोड़ में अनाज एमएसपी में खरीदा था जसमें की मुख्य रूप से गेंहू और चावल की खरीद शामिल है। अगर सरकार एमएसपी को कानूनी गांरटी देती है तो  उसे 10 लाख करोड़ रूपये अतिरिक्त खर्च करने होगें। 23 फसलों की खरीद के लिए सरकार को 17 लाख करोड़ रूपये खर्च करने होगें । वहीं सरकार किसानों की अन्य मांगों जैसे की पेंशन, कर्ज माफी आदि को भी मान लेती है तो 40 लाख रूपये खर्च करने होगें । इन आकड़ों को ऐसे समझ सकते है कि इस वर्ष का वित्तीय बजट  45 लाख करोड़ रूपये का है । इससे साफ जाहिर है कि आर्थिक रुप से एमएसपी को कानूनी गांरटी देना संभव नहीं है।

   हरित क्रांति के जितने फायदे हुए थे उतने उसके दुष्परिणाम भी सामने आए थे। हरित क्रांति से जुड़े राज्यों अत्यधिक सिंचाई के कारण भूजल स्तर नीचे गिर गया । साथ ही उवर्रकों के प्रयोग से ऊपरी मिट्टी भी खराब हो गयी है। यहीं कारण है कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण पर जोर दे रही है। किसानों को चाहिए कि वह पर्यावरण अनुकूल फसलों को उगाए । साथ ही सरकार ने किसान सम्मान निधि जैसी योजना लागू की है जिसके माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता दी जा रहा है इस योजना में और विस्तार करने की आवश्यकता है।

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Shivangi Pandey

Hii! I am Shivangi Pandey .I am a student of Hindi Journalism in Indian Institute of Mass Communication (New Delhi) . I have done my graduation in Physics from Delhi University