डबल्युएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 6 में से एक युवा( 10-19 वर्ष) डिप्रेशन का शिकार है । कोचिंग फैक्ट्री कहीं जाने वाले कोटा का ही उदाहरण ले तो इस साल अगस्त तक 23 बच्चों ने आत्महत्या कर ली जिसका मुख्य कारण मानसिक तनाव ही है। इसे देखते हुए हमने एक छोटा सा ऑनलाइन सर्वे किया जीत जिसके माध्यम से हमने कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया ली। उससे कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई। मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि लोग तनाव या उसके लक्षणों के प्रति जागरूक हो। सर्वे में 51 विद्यार्थियों से 74.5 प्रतिशत छात्रों ने माना कि वे मानसिक तनाव से जुड़े संकेत और लक्षणों से अवगत है जो की एक अच्छी बात है। युवाओं में मानसिक तनाव के मुख्य कारण शैक्षणिक ही होते हैं । सर्वे के मुताबिक 51 छात्रों में से 35.3 छात्रों को शैक्षणिक या परीक्षा के वक्त ज्यादा तनाव महसूस होता है वही 23.5% को स्वास्थ्य संबंधित तनाव है। मानसिक स्वास्थ्य को भारत में ज्यादातर लोग नजरअंदाज करते थे या फिर ध्यान नहीं देते। सर्वे में भी 66.7 प्रतिशत छात्रों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है। आज के डिजिटल योग में जब सारे कार्य ऑनलाइन हो रहे हैं ऐसे में स्क्रीन टाइम बढ़ना तय है। हमारी सर्वे के मुताबिक 41.2 छात्र 2 से 4 घंटे मोबाइल पर समय व्यतीत करते हैं वही 37.02% 4 घंटे से भी ज्यादा समय फोन पर व्यतीत करते हैं जो की चिंता जनक है। वहीं इससे पढ़ाई या काम पर बुरा प्रभाव पढ़ना तय है छात्रों की एकाग्रता की क्षमता घटती जा रही है। केवल 15.7% छात्र 6 घंटे से ज्यादा समय तक अपनी पढ़ाई /काम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। जब बात मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा या जागरूकता के आती है तो स्थिति और भी बुरी है क्योंकि 72.5% छात्रों ने यह स्वीकार किया है कि उन्हें आज तक मानसिक स्वास्थ्य विषयों पर शिक्षा या प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है।वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बहुत तेजी आई है जो की एक चिंता का विषय है। यह समस्या आने वाले समय में और भी विकराल रूप धारण कर लेगी । कोरोना महामारी के बाद मानसिक तनाव से संबंधित मामलों में बड़ा उछाल आया है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कम करना है तो समाज में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लाने की जरूरत है । लोगों को अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के बेहतर करने के प्रयास करने होंगे जिससे वह एक स्वस्थ जीवन जी सके। सरकार को भी कुछ जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने चाहिए जिससे लोगों को इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त हो और वह इस पर बेहतर तरीके से अमल कर सकें। सरकार को जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को अधिक किफायती और सुलभ जिससे हर आम नागरिक आसानी से इसका लाभ ले सकें।
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