हाल ही में जारी एनसीआरबी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में साइबर अपराध के मामलों में 24.4 % की बढ़ोतरी हुई है। इसमें अधिकांश मामले साइबर फ्राड के लगभग 64.4 % है। साइबर अपराध दर भी बढ़कर 2021 के 3.9 से 2022 में 4.8 हो गई है। बात करें राज्यों की तो सबसे ज्यादा केस तेलंगाना में दर्ज हुए है। उसके बाद दूसरे नंबर में कर्नाटक और तीसरे में महाराष्ट्र है। तीनों राज्यों में सबसे ज्यादा केस साइबर फ्रॉड के है उसके बाद जबरदस्ती वसूली और यौन उत्पीड़न के है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में फोन के उपयोगकर्ता बढ़े है उसी तेजी से साइबर अपराध में भी बढ़ोतरी हुई है।
साइबर अपराध क्या है ?
कंम्पयूटर, इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों का प्रयोग कर किया जाने वाला अपराध साइबर अपराध है। इसमें व्यक्ति लोगों की निजी जानकारी या पैसा चुराकर अपराध को अंजाम देता है।
साइबर अपराध कई तरह के होते है जैसे–
मालवेयर-यह एक वायरस जिसका प्रयोग कर कंप्यूटर को नुकसान पहुँचाया जाता है।
फिशिंग–इसके तहत आपकी जरूरी सूचनाएँ जैसे लागइन पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड जैसे जानकारी चोरी कर ली जाती है।
साइबर स्टाकिंग–इसके तहत मेसैज और ईमेल भेजकर व्यक्ति को परेशान या धमकी दी जाती है। खासकर महिलाओं को इसका निशाना बनाया जाता है।
इसी तरह अपराध करने के कई तरीके है जैसे ओटीपी मांगकर फिर सोशल मीडिया में लिंक पर क्लिक करता है तो उसके बैंक से पैसे चोरी हो जाते है।
डाटा चोरी भी साइबर अपराध में एक बड़ी समस्या है। भारत के सर्वोच्च स्वास्थय संस्थान एम्स का डाटा हैक कर लिया गया जिसके बदले फिरौती मांगी गयी। हाल ही में आईसीएमआर का डाटा भी डार्क वेब में बेचने के लिए डाल दिया गया। इसमें भारत के 81.5 करोड़ लोगों की निजी जानकारी में सेंध मारी की गयी।
बात करे कानून की तो इस तरह के अपराध से निपटने के लिए आइटी एक्ट 2000 के तहत की केस दर्ज होते है। इसी के विभिन्न प्रवाधानों के तहत कार्यवाही की जाती है। वही सरकार सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण बिल के तहत कड़े प्रावधान लाने जा रही है। साथ ही जिस भी प्लेटफार्म से डाटा लीक होगा उसकी जवाबदेही तय करने का नियम है। जिसके तहत कड़ी सजा या जुर्माना लगाया जा सकता है। साइबर अपराध से निपटने सरकार को और सख्ती से इसे लागू करना होगा जिससे इन अपराधों पर लगाम लगायी जा सकें।
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